यूरोप हो या अमेरिका उनके आधुनिक और विकसित नजर आने का पहला अहसास वहाँ की चौड़ी-चौड़ी सड़कें, फ्लाई ओवर और उन पर दौड़ती नजर आती मोटर-कार से आता है। और आए भी क्यों नहीं? ईसा से 2500 वर्ष पुरानी 'सिन्धु व हड़प्पा सभ्यता' हो या फिर मिश्र और मेसोपोटामिया की समृद्धि का मापदण्ड भी वहाँ का आर्किटेक्चर, विकसित सड़कें और मिश्र के पिरामिड के वास्तु-विन्यास को ही माना जाता है। भारत के इतिहास में शेरशाह सूरी जैसे शासक को भी उसके द्वारा तत्कालीन भारत के चढ़गॉव (बांग्लादेश) से वर्तमान काबुल (अफगानिस्तान) के लिए निर्मित वर्तमान जी.टी.रोड (ग्रांड ट्रक रोड) के लिए याद किया जाता है।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के समय नार्थ-साउथ कोरिडोर के रूप में देश को आधुनिक विकसित सड़कों से जोड़ने वाले युग का शुभारंभ हुआ। ग्रामीण अंचल में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़कों ने एक तरह से ग्रामों की अर्थ-व्यवस्था को बदल दिया है।
यही कारण है कि मध्यप्रदेश में भी सड़कों के निर्माण, उनके सुदृढ़ीकरण पर राज्य सरकार द्वारा विशेष ध्यान दिया गया है। सड़कें विकास की संवाहक है। सड़कों के अभाव में विकास बेमानी हो जाता है। राज्य सरकार द्वारा सड़को के माध्यम से विकास के रथ को गाँव-गाँव तक पहुँचाने का काम व्यापक-दूरदृष्टि के साथ किया जा रहा है। इसकी झलक राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत 2021-22 के बजट में साफ नजर आती है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपने चौथे कार्यकाल के पहले वर्ष में 'आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश' के सुदृढ़ भवन की जो परिकल्पना की, उसके आधार-भूत चार स्तम्भ में भौतिक अधो-संरचना को प्रथम स्तम्भ के रूप में रखा गया है। प्रदेश की भौतिक अधोसंरचना में सड़कें एक मुख्य घटक हैं। सरकार की सभी सेवाएँ, जन-सुविधाएँ, आम-जन तक तभी पहुँच सकेगी जब प्रदेश में सुदृढ़ आधार-भूत संरचना हो, जिसका पहला पायदान है-'सुदृढ़ सड़कें'।




